कि वह उन आंखों से मुरव्वत का तकाजा न करें।
-'वहशत' कलकतवी
1.मुरव्वत - लिहाज, शील, संकोच, रिआयत 2. तकाजा - माँग
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लेदे के अपने पास फकत इक नजर तो है,
क्यों देखें जिन्दगी को, किसी की नजर से हम।
माना कि इस हमीं को न गुलजार कर सके,
कुछ खार कम तो कर गए गुजरे जिधर से हम।
1.गुलजार - (i) उद्यान, बाग (ii) वह स्थान जहाँ चहल-पहल और रौनक हो
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सफीना जब तेरे होते हुए भी डूब सकता है,
उठायें फिर तेरे एहसान क्यों ऐ नाखुदा कोई।
-फारिंग सीमाबी
1.सफीना - नाव, नौका 2.नाखुदा - मल्लाह, नाविक
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है अगर बेदर्दियाँ अपनों की दिल को नागवार,
नागवार उससे सिवा गैरों की हैं गमख्वारियाँ।
-ख्वाजा हाली
1.बेदर्दी - निर्दयता, बेरहमी 2.नागवार - जो पसन्द न हो,
जो अच्छी न लगे 3.सिवा - अधिक, जियादा
4. गमख्वारी - सहानुभूति, हमदर्दी, गमगुसारी
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न पूछो क्या गुजरती है, दिले-खुद्दार पर अक्सर,
किसी बेमेहर को जब मेहरबां कहना ही पड़ता है।
-जगन्नाथ आजाद
1.दिले-खुद्दार - स्वाभिमानी दिल
2. बेमेहर - (i) निष्ठुर, जिसमें ममता न हो (ii) निर्दयी, बेरहम
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परीशां हाल हैं लेकिन हमें है पासे-खुद्दारी,
हमारा सर किसी के आस्तां पर खम नहीं होता।
-शंकर जोधपुरी
1.पास - शील, संकोच, लिहाज 2.आस्तां -चौखट, दहलीज 3.खम - झुकना
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पेशे-अरबाबे-करम वह हाथ क्या फैलाता,
जिसको तिनके का भी एहसान गवारा न हुआ।
-साकिब लखनवी
1.पेशे-अरबाबे-करम - मेहरबानी या दया दिखाने वालों के सामने
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मुझको यह पासे-जब्त कि मुंह खोलना गुनाह,
उनकी यह आरजू कि इल्तिजा करे कोइ।
-हबीब अहमद सिद्दकी
1. पास - शील, संकोच, लिहाज 2. जब्त - सब्र
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जो नजर की इल्तिजा समझा नहीं,
हाथ उसके सामने फैलायें क्या?
-'शातिर' हाकिमी
1. इल्तिजा - प्रार्थना, दरख्वास्त
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तुझे यह नाज कि जन्नत की भीक मांगूगा,
मुझे यह जिद् कि तकाजा मेरा उसूल नहीं।
-मंजूर अहमद मंजूर
1.तकाजा - मांग, दिये हुए रूपये या वस्तु की मांग (ii) आवश्यकता, जरूरत (iii) किसी काम के लिए किसी से बराबर कहना
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दर्द मन्नतकशे-दवा न हुआ,
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ।
जम्अ करते हो क्यों रकीबों को,
इक तमाशा हुआ, गिला न हुआ।
-मिर्जा 'गालिब'
1.मन्नतकशे-दवा - दवा के लिए प्रार्थना या मिन्नत करना
2.रकीब- किसी स्त्री से प्रेम करने वाले दो व्यक्ति
परस्पर रकीब होते हैं, प्रतिद्वंद्वी
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दिल रहे या न रहे, जख्म भरें या न भरें,
चारासाजों की खुशामद मुझे पसंद नहीं।
-नातिक लखनवी
1.चारासाजों - चिकित्कों
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अलग हम सबसे रहते हैं मिसाले तारे - तंबूरा,
जरा छेड़े से मिलते हैं मिला ले जिसका जी चाहे।
1.मिसाले - सम्मान
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एक तुम हो कि वफा तुमसे न होगी, न हुई,
एक हम कि तकाजा न किया है, न करेंगे।
-हसरत मोहानी
1.वफा - मित्र के साथ तन,मन और धन से निबाहना,
वफादारी, निबाह, निर्वाह
2.तकाजा - माँग, किसी काम के लिए किसी से बराबर कहना
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खाली है मेरा सागर तो सही, साकी को इशारा कौन करे,
खुद्दारिये-साइल भी कुछ है, हर बार तकाजा कौन करे।
-आनन्द नारायण मुल्ला
1.सागर - शराब का पिलाया, पानपात्र 2. खुद्दारिये-साइल - (i) मांगने वाला, भिक्षुक (ii) प्रार्थी, दरख्वास्त करने वाला 3.तकाजा - माँग, दिए हुए रूपए या वस्तु की मांग, किसी काम के लिए किसी से बराबर कहना
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छोड़ दीजे मुझको मेरे हाल पर,
जो गुजरती है गुजर ही जायेगी।
-असर लखनवी
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