अपना तो आशिकी का किस्सा-ए-मुख्तसर है,
हम जा मिले खुदा से दिलबर बदल-बदल कर।
1.मुख्तसर - संक्षिप्त कहानी
*****
अब तो चलते हैं बुतकदे से ऐ 'मीर',
फिर मिलेंगे गर खुदा लाया।
-मीरतकी मीर
*****
आदम को मत खुदा कहो, आदम खुदा नही,
लेकिन खुदा के नूर से, आदम जुदा नहीं।
*****
आशिकी से मिलेगा खुदा,
बंदगी से खुदा नहीं मिलता।
-दाग
इक नहीं मांगी खुदा से आदमीयत की रविश,
और हर शै के लिए बंदे दुआ करते रहे।
1. रविश- शैली, तर्ज, आचार-व्यवहार
*****
इन्सान की बदबख्ती अन्दाज से बाहर है,
कमबख्त खुदा होकर भी बंदा नजर आता है।
1.बदबख्ती - बदनसीबी, बदकिस्मती
2.कमबख्त - अभागा, भाग्य का मारा, वदकिस्मत
*****
इलाही कैसे होते है जिन्हें है बंदगी की ख्वाहिश,
हमें तो शर्म दामनगीर होती है खुदा होते हुए।
-मीरतकी मीर
*****
कह दे ये कोई जाकर दुनिया के बागबाँ से ,
गुल मुतमइन नहीं हैं, तरतीबे-गुलिस्ताँ से।
-एहसन दानिश
*****
कहने को यूँ जहाँ में हजारों हैं यार-दोस्त
मुश्किल के वक्त एक है, परवरदिगार दोस्त।
-असीर
*****
कुछ लोगों से जब तक मुलाकात न हुई थी
मैं भी यह समझा था, खुदा सबसे बड़ा है।
*****
खिरदमंदों से क्या पुछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
कि मैं इस फिक्र में रहता हूँ मेरी इन्तिहा क्या है,
खुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है?
-मोहम्मद इकबाल
1.खिरदमंद - बुद्धिमान, अक्लमंद 2.इब्तिदा - प्रारम्भ, आरम्भ, शुरूआत 3. इन्तिहा - अंत, आखिरी हद या छोर 4. रजा - इच्छा, तमन्ना, ख्वाहिश
*****
खुदा तौफीक देता है उन्हें जो यह समझते हैं,
कि खुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तकदीरें।
-'अफसर' मेरठी
1.तौफीक - (i) दैव योग से ऐसे कारण पैदा हो जाना जिससे अभिलषित वस्तु की प्राप्ति में सुगमता हो, ईश्वर की कृपा, दैवानुग्रह (ii) सामर्थ्य, शक्ति (iii) योग्यता, पात्रता, अहलियत
*****
खुदा और नाखुदा मिलकर डुबो दें यह तो मुमकिन है,
मेरी वजहे-तबाही सिर्फ तूफां हो नहीं सकता।
-सीमाब अकबराबादी
1. नाखुदा - मल्लाह, नाविक, केवट, कर्णधार
*****
खुदा तो इक तरफ, खुद से भी कोसों दूर होता है,
बशर जिस वक्त ताकत के नशे में चूर होता है।
1. बशर - मानव, आदमी, मनुष्य
*****
खुदा या नाखुदा अब जिसको चाहो बख्श दो इज्जत,
हकीकत में तो कश्ती इत्तिफाकन बच गई अपनी।
-गोपाल मित्तल
1. कश्ती - नौका, नाव
*****
खुदाबंदा मेरी गुमराहियों पर दरगुजर फरमां,
मै उस माहौल में रहता हूँ जिसका नाम दुनिया है।
-'अकबर' हैदरी
1. खुदाबंदा -. हे ईश्वर, हे खुदा 2. गुमराहियों-. गलतियों, गुनाहों, रास्ता भूलना 3. दरगुजर - दोष देखकर उसे अनदेखा कर देना, चश्मपोशी
*****
खुदी की इब्तिदा यह थी कि अपने आप में गुम थे,
खूदी की इन्तिहा ये है कि खुदा को याद करता हूँ।
1.खुदी - यह भाव कि बस हमीं हम है, अहंकार, गर्व, घमंड
2.इब्तिदा - शुरूआत, आरम्भ
*****
खुलूसे-दिल से हो सिज्दे तो उन सिज्दों का क्या कहना,
सरक आया वहीं काबा, जहां हमने जबीं रख दी।
1.खुलूसे-दिल - सच्चे दिल से, निष्कपट दिल से 2. काबा - मक्के की एक इमारत जिसे मुसलमान ईश्वर का घर मानते हैं 3. जबीं - माथा, भाल
*****
छोड़ा नहीं खुदी को, दौड़े खुदा के पीछे,
आसां को छोड़ बंदे, मुश्किल को ढूंढ़ते हैं।
1.खुदी - अहंकार, अभिमान, यह भाव कि हमीं हम है
*****
'जफर' आदमी उसको न जानिएगा,
हों वो कैसा ही साहिबे-फहमो-जका।
जिसे ऐश में यादे - खुदा न रहा,
जिसे तैश में खौफे - खुदा न रहा।
-'जफर'
1.साहिबे-फहमो-जका - समझ-बूझ वाला, विवेकशील, समझदार
2. ऐश - भोग-विलास, खाने-पीने का आनन्द, विषयवासना
3.तैश - क्रोध, कोप, गुस्सा
*****
जहाँ सिज्दे को मन आया वहीं पर लिया सिज्दा,
न कोई संगे - दर अपना न कोई आस्तां अपना।
1.सिज्दा - ईश्वर के लिए सर झुकाना, नमाज में जमीन पर सर रखना
2संगे–दर - चौखट 3. आस्तां - दहलीज, ड्योढ़ी, चौखट.
*****
जाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठकर,
या वो जगह बता दे जहां पर खुदा नहीं।
1.जाहिद - संयम, नियम और जप-तप करने वाला व्यक्ति
*****
जिन्दगीअपनी जब इस शक्ल से गुजरी 'गालिब',
हम भी क्या याद करेंगे कि खुदा रखते थे।
-मिर्जा 'गालिब'
*****
तिफ्ल-ए-शीरख्वार को ज्यों-ज्यों शऊर हो चला,
जितना खुदा के पास था, उतना ही दूर हो चला।
1.शीरख्वार - दूध मुंहा बच्चा
2.शऊर - (i) विवेक, समझ, अच्छे-बुरे की पहचान
(ii) सभ्यता, तमीज (iii) शिष्टता, सलीका
*****
तेरा करम तो आम है दुनिया के वास्ते,
मैं कितना ले सका, मुकद्दर की बात है।
1. करम - कृपा, मेहरबानी
*****
दावर के सामने बुते-काफिर को क्या कहें,
दोनों की शक्ल एक है, किसको खुदा कहूँ
मारो भी तुम, जिलाओ भी तुम तुमको क्या कहूँ,
तुमको खुदा कहूँ या खुदा को खुदा कहूँ।
-रियाज खैराबादी
1. दावर – ईश्वर 2.बुते-काफिर - बेहद हसीन औरत
*****
बंदे न होंगे जितने खुदा हैं खुदाई में,
किस-किस खुदा के सामने सिज्दा करे कोई।
*****
यही हुस्नो-इश्क का राज है कोई राज इसके सिवा नहीं
जो खुदा नहीं तो खुदी नही, जो खुदी नहीं तो खुदा नहीं।
-जिगर मुरादाबादी
1.खुदी - (i) यह भाव की हम है (ii) अहंकार, अभिमान, घमंड
*****
रकीबों ने रपट लिखवाई है यह जा के थाने में,
कि 'अकबर' नाम लेता है खुदा का इस जमाने में।
-अकबर इलाहाबादी
1.रकीबों - प्रतिद्वंदियों, एक स्त्री से प्रेम करने वाले दो व्यक्ति परस्पर रकीब होते हैं।
*****
रिन्दाने-जहां से ये नफरत, ऐ हजरते-वाइज क्या कहना,
अल्लाह के आगे बस न चला, बंदों से बगावत कर बैठे।
-फैज अहमद 'फैज'
1.रिन्दाने-जहां - मैकशी की दुनिया यानी शराब पीने वाले
2.हजरते-वाइज - धर्मोपदेशक महोदय
*****
सिज्दे करते भी हैं इंसां खुद दरे-इंसां पै रोज,
और फिर कहते भी है, बंदा खुदा होता नहीं।
-अर्श मल्सियानी
*****
हम खुदा थे गर न होता दिल में कोई मुद्दआ,
आरजूओं ने हमारी हमको बंदा कर दिया।
1.मुद्दआ - (i) स्वार्थ, गरज (ii) मतलब, आशय (iii) उद्देश्य, मंशा
*****
हर जर्रा चमकता है, अनवारे – इलाही से,
हर सांस यह कहती है, हम हैं तो खुदा भी है।
-अकबर इलाहाबादी
1. अनवार - प्रकाशपुंज, जगमगाहट, रोशनियां('नूर’ का बहुबचन)
2. इलाही - ईश्वर, खुदा, मेरा ईश्वर, मेरा खुदा
*****
No comments:
Post a Comment